बच्चों की परवरिश की चुनौती: डिजिटल दुनिया से फिजिकल गेम्स की ओर
आज के दौर में बच्चों की परवरिश एक बड़ी चुनौती बन गई है, विशेषकर उन माता-पिता के लिए जो घर से बाहर जाकर काम कर रहे हैं। जब दोनों माता-पिता नौकरी पर होते हैं, तब उनके बच्चों की देखभाल या तो घरेलू सहायता या फिर प्ले-वे और क्रेच में होती है। ऐसे में बच्चों की क्या सीख होती है, वे किस दिशा में बढ़ रहे हैं – ये सारे सवाल अक्सर छूट जाते हैं।
बच्चों की परवरिश की चुनौती: डिजिटल दुनिया से फिजिकल गेम्स की ओर
वर्तमान में, डिजिटल दुनिया बच्चों की गतिविधियों में अहम स्थान बना चुकी है। बच्चे अब कहानियों या खेल-कूद के बजाय मोबाइल फोन में व्यस्त होते दिखते हैं। जब बच्चा रोता है, तो तुरंत मोबाइल थमा दिया जाता है; खाना नहीं खाता है, तो भी उस पर मोबाइल का जादू चला दिया जाता है। कुल मिलाकर, डिजिटल दुनिया आपकी दिनचर्या पर इस कदर हावी हो गई है कि अब आप अपने जीवन के बिना इसे अधूरा समझने लगे हैं।
डिजिटल उपकरणों के प्रति यह निर्भरता इतनी बढ़ गई है कि आपका बच्चा भी उन्हीं आदतों की ओर अग्रसर हो रहा है। नतीजतन, वह यह नहीं समझ पा रहा है कि कौन सा कंटेंट उसके लिए सही है। इस अदृश्य खतरे के चलते बच्चों की आंखें कमजोर हो रही हैं, उनकी गर्दन में दर्द बढ़ रहा है और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण उनका विकास प्रभावित हो रहा है।
इस सब के बीच टुकटुक किड्स (tuktukkids.com) ने एक नई दिशा दिखाने का निर्णय लिया है। हमारा उद्देश्य बच्चों को डिजिटल गेम्स और ज्ञान के बजाय फिजिकल गेम्स की ओर ले जाना है। इससे न केवल उनका शारीरिक विकास होगा, बल्कि वे मानसिक रूप से भी मजबूत बनेंगे। जब बच्चे बाहर निकलकर खेलते हैं, तो वे नई-नई चीजें देखते, सीखते और महसूस करते हैं। उनके मन में सवाल उठते रहते हैं, जो उन्हें नई जानकारी की तलाश में प्रेरित करते हैं।
हमने जब इस स्टार्टअप की नींव रखी, तब यही सवाल हमारे मन में था कि बच्चों से जुड़े मुद्दों पर काम क्यों न किया जाए। हम अपने अनुभव से जानते थे कि बच्चों को व्यवहारिक चीजों से परिचित कराना कितना जरूरी है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे खेलकूद में रुचि लें, आज हम डिजिटल के बजाय खिलौनों की ओर उनका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
आज, हमें बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। बच्चे खेलते समय रोज नई कहानियां गढ़ रहे हैं।
बदलते समय में यह बेहद जरूरी है कि हम सोचें कि आपका बच्चा किस ओर जा रहा है। क्या आप कमाने और बच्चों की बेहतर जिंदगी के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं, जबकि आपकी अनदेखी का शिकार बच्चे हो रहे हैं? यह समय ठहर कर विचार करने का है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा।
बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हमें अब उचित कदम उठाने की जरूरत है।